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कोरोना वायरस की वैक्सीन से हो रहा है Blood Clot

Blood Clot after vaccine jhonson and jhonson and atrezineca covid 19
 
Blood Clot after vaccine jhonson and jhonson and atrezineca covid 19

कोरोना वायरस की वैक्सीन से कुछ लोगों को खून के थक्के जमने की दिक्कतें आई, यानी ब्लड क्लॉट । जिसे लेकर दुनिया भर में काफी बवाल हुआ। जिसके चलते कुछ दिनों के लिए वैक्सीन पर अस्थाई रोक भी लगाई गई थी। लेकिन अब वैज्ञानिक इस पहेली को सुलझाने के करीब पहुंच चुके हैं। अब जर्मनी के वैज्ञानिकों ने आखिरकार यह दावा किया है कि उन्होंने स्ट्रेन रिएक्शन का पता लगा लिया है। जिसकी वजह से शरीर में खून के थक्के जम गए थे। बता दें जॉनसन एंड जॉनसन और अस्ट्रज़ेनेका की वैक्सीन लेने के बाद कुछ जगहों पर ब्लड क्लोट के मामले सामने आए थे। इस मामले पर काम कर रहे डॉक्टर आंद्रियास ग्रीनैचर सर ने कहा इस चैन रिएक्शन में कुछ प्रिजर्वेटिव और वैक्सीन के कुछ प्रोटीन जिम्मेदार हो सकते हैं। इनकी वजह से ही लोगों में खून के थक्के जमने के दुर्लभ मामले सामने आए होंगे। दोनों वैक्सीन के साथ खून के थक्के जमने की संभवत एक ही मैकेनिज्म काम कर रहा है क्योंकि दोनों ही वैक्सीन एडिनोवायरस को मॉडिफाई करके बनाई गई है। 
 डॉक्टर आंद्रियास ग्रीनैचर कहा मेरी तरफ से प्रस्तावित एक अंदाजा है, क्योंकि यह दोनों ही वैक्सीन एक ही आधार पर बनाई गई है। इसलिए दोनों के साथ ही यह दुर्लभ समस्या सामने आ रही है। स्टडी के मुताबिक एडिनोवायरस ऐसे वायरस परिवार से है जो इंसानों में सामान्य सर्दी जुकाम के कारण बनता है, लेकिन वैक्सीन के प्रयोग के लिए वैज्ञानिक इसे मॉडिफाइड करते हैं। यानी इसके स्वरूप को बदलाव करते हैं। जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने वैक्सीन में एडिनोवायरस यानी ad26  का उपयोग किया है जबकि अस्ट्रज़ेनेका ने चैंपियनज़ि में मिलने वाला एडिनोवायरस का उपयोग किया है। जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की वजह से यूके में ब्लड क्लोट के मामले सामने आए थे।
 अस्ट्रज़ेनेका की वैक्सीन वहां 2 करोड 12 लाख लोगों को लगी , लेकिन ब्लड क्लोट के मामले केवल 168 सामने आए जबकि अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सिंग के 90 लाख डोज़ दिए गए लेकिन खून के थक्के जमने के सिर्फ 28 मामले सामने आए। यानी खून के थक्के जमने के मामले बेहद दुर्लभ है। हालांकि यह सब के साथ नहीं होता है। डॉक्टर ने खून के थक्के जमने पर कहा कि हमारे लिए खून के थक्के की प्रतिक्रिया को समझना बेहद जरूरी है। ताकि हम भविष्य में बेहतरीन वैक्सीन बनाया जा सके , जिससे ऐसी कोई परेशानी वैक्सिंग लगवाने वाले को ना आए क्योंकि हो सकता है करोना वायरस हमारे साथ पूरे जीवन रहे , लेकिन इसके बाद यह एक सीजनल बीमारी की तरह इंसानों को परेशान करेगा। डॉक्टर आंद्रियास ग्रीनैचर ने आगे कहा वैक्सीन में मौजूद प्रोटीन शरीर में जाते ही एक प्रतिरोध क्षमता विकसित करने के लिए संदेश भेजती है, इसके साथ ही वह तुरंत पूरे शरीर में फैल जाती है। एस्ट्रोजन की वैक्सीन के मामले में पूरे शरीर में 130 प्रतिक्रिया होती है। डॉक्टर ग्रीनैचर ने यह भी कहा उनकी टीम ने अस्ट्रज़ेनेका वैक्सिंग के अंदर 1000 प्रोटीन खोजे हैं। यह सारे प्रोटीन इंसानों की कोशिकाओं से लिए गए हैं। जैसे ही वैक्सीन शरीर के अंदर जाकर प्लेटलेट्स में मिलती है। तभी छोटे-छोटे ब्लड सेल खून का थक्का जमाने का काम कर शुरू कर देते हैं। डॉक्टर ने यह भी कहा कि वह अस्ट्रज़ेनेका पर जांच कर चुके है , हालांकि दुनिया भर में कई डॉक्टर इस थ्योरी से सहमति नहीं रहते हैं।

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